केरल में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध, नियम तोड़ने पर देना होगा 50 हजार रु. का जुर्माना

क्लीन केरल इनिशिएटिव के तहत एक जनवरी से केरल के 225 पर्यटक स्थलों को प्लास्टिक मुक्त किया जा रहा है। इसके लिए पर्यटन विभाग और केरल ट्रैवल मार्ट सोसायटी मिलकर काम करेंगे। रिसॉर्ट, होटल, होम स्टे, हाउस बोट आदि कैरी बैग, कप, समेत 19 तरह के प्लास्टिक आइटम से मुक्त होंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान शुरू किया था, इसके तहत मोदी सरकार ने 2022 तक देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है।



इन प्लास्टिक आइटम्स पर लगा बैन
केरल सरकार ने प्लास्टिक कैरी बैग्स, प्लास्टिक सीट्स, कूलिंग फिल्म्स, प्लास्टिक प्लेट्स, कप, थर्मोकोल और स्ट्रोफोम आधारित फैंसी आइटम्स पर बैन लगाया है। कंपोस्ट प्लास्टिक से बने उत्पादों को प्रतिबंध से मुक्त रखा गया है।



नियम तोड़ने पर 50 हजार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान
नियम न मानने वाले निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं के लिए पहली बार 10000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। वहीं दूसरी बार 25000 रुपए का जुर्माना देना होगा। तीसरी बार के लिए जुर्माना 50000 रुपए है और दुकान/प्रतिष्ठान का परमिट खत्म कर दिया जाएगा।



भारतीय जहाजों पर सिंगल यूज प्लास्टिक 1 जनवरी प्रतिबंधित
भारतीय जहाजों पर नए साल यानि की 1 जनवरी से सिंगल यूज प्लास्टिक नहीं ले जा सकेंगे। प्रतिबंधित प्लास्टिक उत्पादों में थैले, ट्रे, कंटेनर, खाद्य पदार्थ पैक करने वाली फिल्म, दूध की बोतलें, फ्रीजर बैग, शैम्पू बोतल, पानी एवं अन्य पेय पदार्थों की बोतल, साफ-सफाई के द्रव्यों का छिड़काव करने वाले कंटेनर और बिस्किट के ट्रे आदि भी शामिल हैं।



सिंगल यूज प्लास्टिक क्या होता है?
प्लास्टिक की बनी ऐसी चीजें, जिनका हम सिर्फ एक ही बार इस्तेमाल कर सकते हैं या इस्तेमाल कर फेंक देते हैं और जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, वह सिंगल यूज प्लास्टिक कहलाता है। इसका इस्तेमाल चिप्स पैकेट की पैकेजिंग, बोतल, स्ट्रॉ, थर्मोकॉल प्लेट और गिलास बनाने में किया जाता है।



देश में सालाना कितनी खपत?
मिनिस्ट्री ऑफ अर्बन एंड हाउसिंग अफेयर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 1996 में 61 हजार टन प्लास्टिक की सालाना खपत होती थी। यह 2017 में बढ़कर 1.78 करोड़ टन पहुंच गई। गैर-सरकारी संगठन इंडियन पॉल्यूशन कंट्रोल एसोसिएशन (आईपीसीए) के डायरेक्टर आशीष जैन बताते हैं कि देश में जितनी प्लास्टिक की खपत होती है, उसमें सिंगल यूज प्लास्टिक का सिर्फ 4% से 5% हिस्सा ही है, लेकिन इसका वजन हल्का होने की वजह से हमें ये चारों तरफ दिखाई देता है। प्लास्टिक का इस्तेमाल कई जगह होता है। जैसे- टीवी, रिमोट, एसी, रेफ्रिजरेटर, कार, फर्नीचर आदि। चूंकि सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल हम रोज करते हैं, इसलिए इसकी चर्चा ज्यादा होती है और पर्यावरण को ज्यादा नुकसान होता है।